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यादों के साये -एक अधूरी चाह




वो दिन भी क्या थे,जब लोग अपनी पुरानी यादों से भी रूह तक प्यार करते थे,प्यार सिर्फ एक नायक-नायिका का स्नेह मात्र नहीं है, ये माता-पिता,भाई-बहन,मित्र और भी अपने करीब रहने वाले लोगों के प्रति सम्मान और स्नेह का एक खूबसूरत तोहफा है,जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है। हाँ ये सच है कि उम्र के साथ ये प्यार भी अपने रंग बदलने लगता है,इसका ये मतलब नहीं कि बाकी लोगों से आपको प्यार नहीं रहता है।

मेरा मानना है -कि किसी ऐसे शक्स को जो आपके जिंदगी के बहुत करीब हो उसे सम्मान और उसकी चाहतों का ख्याल रखना ही सच्चा प्रेम हैं,लेकिन आज कल नायक-नायिका का प्रेम चेहरे की खूबसूरती, पैसों से भरी जेब,अच्छे होटलों में खाना- खाना,और फिर हमबिस्तर हो जाना ही सच में प्यार है,किसी को आज कल हद से ज्यादा प्रेम करने मात्र से कुछ नहीं होता आपका और नायिका की सोच और व्यवहार भी मिलना तो चाहिए,इसके साथ ही रंग,जाति, धर्म,रहन-शहन और शहर और गाँव की परवरिश भी तो शायद आज के प्यार के लिए मायने रखती है। सिर्फ आपके चाहने मात्र से आपको उससे प्यार हो सकता है लेकिन उसको आपसे प्यार हो जाये ये जरूरी तो नहीं है,

प्यार किसी दिन का मोहताज नहीं होता है,वो एक अच्छे पवित्र दिल को अपना खूबसूरत आशियाना बनाना चाहता है।

आज भी वो माँ का आँचल और पापा का कंधा याद आता है जो कभी हमको सारा जहाँ लगता था,नानी माँ की वो कहानियाँ, और वो एक रुपये का सिक्का जिससे हम अपनी दिन भर की खुशियाँ खरीद लेते थे,वो बचपन की हठबोलियाँ पानी में नाव को तैराना, गलियों में दोस्तों के साथ बिताए पल और न जाने कितनी वो बचपन की यादें और उसके साये आज भी मन को कभी कभी कचोट से जाते हैं, न ही किसी चीज की चाह थी न ही किसी की चाहत बस दिल तो माँ के आंचल और पापा की बातों में ही बसता था।

आज सब कुछ हासिल होते हुए भी प्यार को हम एक हमसफ़र के साथ और उसकी बातों में ढूंढ़ते फिरते हैं, ये कोई बदलता वक़्त नहीं है बल्कि उम्र की चाहतों का दायरा बढ़ गया है जो कहीं न कहीं एक हमसफ़र की तलाश करने लगता है,लेकिन जरूरी तो नहीं कि हर इंसान को प्यार की खूबसूरत छाँव मिल ही जाए,आप किसी से बेहद प्यार और उसकी चाहत रख सकते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि वो भी आपको उतना ही प्यार करे और आपका ख्याल रखे,लेकिन फिर भी आप उसे पवित्र मन से प्रेम करते रहिए,प्रेम का मतलत किसी को सिर्फ हासिल करना ही नहीं है,बल्कि उसकी जरूरत में उसके लिए सब कुछ कर गुजरने की चाहत भी सच्चा प्रेम है।

क्या हुआ जो वो शख्स आपका हमसफर नहीं बन सका कम से कम आपकी ज़िंदगी की खूबसूरत यादें तो बन गया है,उसकी यादों से प्रेम करके भी आप अपनी जिंदगी को खूबसूरत बना सकते हो,किसी ने सच कहा है कि -किसी एक के जिन्दगी से चले जाने से जिंदगी खत्म नहीं हो जाती,यदि उस बात को लेकर इंसान खुद को बर्बाद करता है तो वो खुद को ही बर्बाद नहीं बल्कि उसके प्रेम का भी अपमान करता है...

इसीलिए किसी से प्रेम कीजिये न कि उससे चाहतों की उम्मीद,प्यार उम्मीद पर नहीं आपके प्यार पर निर्भर करता है।कभी कभी ख़्वाब ख्वाब ही रह जाते हैं, क्योंकि वो ख़्वाब आपके काबिल ही नहीं थे,आपको वही मिलता है जिसके आप काबिल होते हो चाहे वो किसी का प्यार हो या फिर आपकी सफलता और असफलता की बुनियाद हों,हर इंसान के जीवन में कोई न कोई एक अधूरी चाह बन कर रह ही जाती है,शायद आज भी  मेरी आँखें और मन उसकी यादों के साये का इंतजार करती हैं।


DR.SUDHEER SINGH MBBS(D.PHIL,D.LITT,D.HUM,Ph.D-H.C)

Honorary doctorate 

UYG COUNTRY DIRECTOR

GDYLI GLOBAL SECRETARY

ADDITIONAL MEDICAL ADVISER 

MULTIPLE WORLD RECORD HOLDER.

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